शिथिलीकरण की क्रिया को ‘योग-निद्रा’ कहते हैं।
शिथिलीकरण से शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तनाव समाप्त हो जाते हैं। एक-एक अंग की निष्क्रियता दूर होकर उसमें नई चेतना और नई शक्ति का संचार हो जाता है। मधुमेह, रक्तचाप, एनजायना, हृदय-रोग तथा कमजोरी आदि से छुटकारा मिल जाता है।
इस पुस्तक में दिए गए अभ्यास से साधक अपने शरीर के एक-एक अंग का शिथिलीकरण कर सकता है।
‘योग-निद्रा’ गहरे अंतर्तम में उतरने की सर्वसुलभ क्रिया है। मन और चित्त को स्थिर करके जहाँ बहुत सी-शक्तियाँ और सिद्धियाँ प्राप्त की जा सकती हैं, वहीं साधना की ऊँची उड़ान भी उड़ी जा सकती है।
Yog Nidra
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