इस पुस्तक में मेरुदण्ड से सम्बन्धित आसनों पर प्रकाश डाला गया है। मेरुदण्डासनों के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी की कशेरुकाओं का तनाव, खिंचाव और विकृति तो दूर हो ही जाती है साथ ही कमर का झुकाव, टेढ़ापन, दर्द, चिलक, टीस आदि भी समाप्त हो जाते हैं। ये आसन, साइटिका तथा स्पोंडोलाइटिस में भी उपयोगी हैं। इसके अतिरिक्त ये कब्ज, गैस, थकावट, आलस्य, अनिद्रा, मोटापा, मधुमेह एवं स्नायु-संबंधी रोगों में भी लाभप्रद हैं।
मेरुदण्ड के इन आसनों का अभ्यास यदि प्रतिदिन चार या पाँच मिनट भी किया जाए तो बहुत से रोग जड़ से समाप्त हो सकते हैं। ये आसन सभी के लिए समान रूप से उपयोगी हैं।
Yog Jeevan
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