‘प्राणायाम’ नामक इस पुस्तक में प्राणायाम-साधना से सम्बन्धित सिद्धस्थ 12 मूर्धन्य विद्वानों, योगियों और संतों के अनुभवों पर आधारित लेख प्रस्तुत किए गए हैं।
‘प्राणायाम’ योग की एक ऐसी शक्तिशाली क्रिया है जिसके अभ्यास द्वारा फेफड़े विकारमुक्त होकर शुद्ध, स्वस्थ और पुष्ट तो हो ही जाते हैं साथ ही शरीर की नस-नाड़ियों में आए हुए अवरोध भी निकल जाते हैं और विकार भी समाप्त हो जाते हैं। शरीर शक्तिशाली बन जाता है और मन प्रफुल्लित रहता है।
इस पुस्तक का अध्ययन करते हुए आप अपने शरीर को सुदृढ़ बनाएंगे और अपने मन में प्रफुल्लता का अनुभव करेंगे।
Pranaayam
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